Friday, September 9, 2016

यह भाषा बिहारीपन की आत्मा है।"

लेकिन भोजपुरी अस्मिता, भोजपुरी सम्मान सिर्फ इहे तक सीमित नईखे । भोजपुरी के अस्मत त सालन से लुटाता, सिनेमा आ संगीत के माध्यम से । में कोर्स शुरू होखला के पहिलहूँ अस्मिता ख़तम होत रहे आ कोर्स शुरू होखला के बाद भी होखी ।
हमार बस एक्के गो निहोरा बा जे हम कई हाली पहिलियों कहले बानी । देखल जाव के आज के तारीख में करोड़न के ई भासा के अवकात अश्लील सिनेमा आ अश्लील गीत संगीत से आंकल जाता । रउवा सामने ई अश्लीलता के लांगा नाच चलता । रउवा जइसे नागराज मंजुले के बुला के एक अइसन डिस्कसन करौनि, एक डिसकसन आपन मातृभासा के लेके करवाईं के काहे खाली भोजपुरी के ई बदहाली भइल । जतना लोग बा प्रियंका चोपड़ा के माई से लेके यादव तिवारी सिन्हा इत्यादि इत्यादि, सबके बुलाएं आ पूछीं कि काहे आत्मसम्मान के अतना गरीबी बा ई लोग में । काहे गरीब के सेक्स आ हिंसा बेच के अवरी भ्रष्ट करता लोग ? मंथन होखे के देस के कवनो दोसरा भासा चाहे हरयाणवी आ पंजाबी आ ओरिया मणिपुरी अवधी ब्रज में उ गंदगी नईखे भईल जईसन भोजपुरी में सिर्फ चाम के दाम लेवे के काम होता । हमनी के भोजपुरी समाज काहे अतना नपुंसक मौन धारण कछले बा ? अपना अस्मिता के लेके काहे हम भोजपुरिया उदासीन बानी । रउवा से हमरा बहुत उमेद बा के रउवा कुछ अइसन करीं के तनि संवेदनशीलता फइलो ।


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